25\06\2010 AGRA HINDI NEWS
दिलकश अदा ओर विंदास अंदाज मे जब प्रतिभागी माडल्स रेंप पर जलवा बिखेरने उतरी तो पूरा माहौल तालियों की गडगडाहट से गूंज उठा | रंगबिरंगे परिधानों में सजी बालाओं ने ऐसा समां बांधा कि दर्शक चाहकर भी सीट नंही छोड़ सके | रंगबिरंगी रोशनी और तेज ध्वनि मे बजते संगीत के बीच एक के बाद एक माडल्स अपने हुस्न और हुनर के जलबे बिखेर रही थी |
गुरुवार को ब्लास्टर ग्रुप द्वारा सजी कोहिनूर ए ताज 2010 की सुनहरी शाम सूरसदन में आयोजित की गई | पहले चरण में हुय डांस काम्पटीशन में बच्चों ने समां बांध दिया | हाथ मे तिरंगा लहराय नन्हे कृष्ण की माँ तुझे सलाम गीत पर की गई मनमोहक न्रत्य भी शानदार था | कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एडीए उपाध्यक्ष तनवीर जफ़र अली व् उनकी बेगम अरीवा तनवीर का ग्रुप की निदेशिका चंचल ने स्वागत किया | निर्णायक मंडल मे लायंस क्लब आफ़ नालंदा की वाइस प्रेसिडेंट शिवानी अग्रवाल ब्लास्टर ग्रुप के योगेन्द्र मेकअप डिजाइनर राशिद हारुल अनीता थे | कार्यक्रम का संचालन अमित सुरी व् सना ने किया | अन्य अतिथियों मे साईं एक्सपोट्स के मालिक मोनी भाई ,अशोक चोबे राधेश्याम मौजूद थे |
Friday, June 25, 2010
विवि की वेबसाइट पर शोध संबंधी जानकारी | AGRA HINDI NEWS
25\06\2010 AGRA HINDI NEWS
डा बीआर अंबेडकर विशवविधालय में अब शोध संबंधी जानकारी के लिए भटकना नंही पड़ेगा | विशवविधालय की अधिकृत वेबसाइट पर शोध संबंधी सभी जानकारीयाँ मिलेंगी | कुछ दिनों पहले शुरू हुई आरडीसी के बाद साइट अपडेट की गई है | इस समय 15 आरडीसी की सभी जानकारियां वेबसाइट पर उपलब्ध है | विशवविधालय के डीन रिसर्ज प्रो राजेश धाकरे ने बताया कि शोध में प्रवेश लेने वाले छात्र छात्राएं अन्य जिलों से विशवविधालय आकर भटकते है | विवि की अधिक्रत वेबसाइट पर डीन रिसर्ज का फोल्डर है, जिसमे शोध संबंधी सभी जानकारियां मिलेंगी | इस समय वेबसाइट पर पिछले दिनों हुई एग्रीकल्चर के आठ विषय ,इंग्लिश ,संस्कृत ,बाटनी,मैथ , ड्राइंग एंड पेंटिंग ,हिंदी की आरडीसी के मिनटस उपलब्ध है |
डा बीआर अंबेडकर विशवविधालय में अब शोध संबंधी जानकारी के लिए भटकना नंही पड़ेगा | विशवविधालय की अधिकृत वेबसाइट पर शोध संबंधी सभी जानकारीयाँ मिलेंगी | कुछ दिनों पहले शुरू हुई आरडीसी के बाद साइट अपडेट की गई है | इस समय 15 आरडीसी की सभी जानकारियां वेबसाइट पर उपलब्ध है | विशवविधालय के डीन रिसर्ज प्रो राजेश धाकरे ने बताया कि शोध में प्रवेश लेने वाले छात्र छात्राएं अन्य जिलों से विशवविधालय आकर भटकते है | विवि की अधिक्रत वेबसाइट पर डीन रिसर्ज का फोल्डर है, जिसमे शोध संबंधी सभी जानकारियां मिलेंगी | इस समय वेबसाइट पर पिछले दिनों हुई एग्रीकल्चर के आठ विषय ,इंग्लिश ,संस्कृत ,बाटनी,मैथ , ड्राइंग एंड पेंटिंग ,हिंदी की आरडीसी के मिनटस उपलब्ध है |
विरासत : कंही विकास की आहट ,कंही उपेक्षा का दंश | AGRA HINDI NEWS
25\06\2010 AGRA HINDI NEWS
आगरा में अब सिकंदर लोदी कहानियां भी सुनी जा सकेंगी | नेशनल मिशन फ़ॉर मोन्यूमेंट एंड एटीक्विटी की और से ऐसे स्मारकों को चिन्हित कर उन्हें दुरुस्त किया जाएगा ,जो न तो राज्य सरकार और केंद्र सरकार की और सरंक्षित है | नॅशनल मिशन ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को पत्र भेजकर इस दिशा में कार्य करने का निर्देश दिया है ऐसे मे लोदी काल के अवशेष जीवंत होंगे |
आगरा मे बहुत से ऐसे स्मारक है ,जिनका कोई खेर ख्वाह नहीं है | ताज,सीकरी ,सिकंदरा ,आगरा फोर्ट की चमक के आगे इन तक निग़ाह ही नहीं पहुंचती | ऐसे ही पुराताव्तिक स्मारकों के लिए नॅशनल मिशन फ़ॉर मोन्यूमेंट एंड एटीक्विटी के पांच वर्षों के प्रोजेक्ट मे इन्हें सवारा जाएगा |
डा एआर सिददीकी, अधीक्षण पुराताव्तिक,आगरा सर्किल ने बताया कि इस संबंध मे नॅशनल मिशन के सयुक्त निदेशक का पत्र आया है | जल्द ही ऐसे स्मारकों को चिंहित किया जाएगा |
इतिहास एव पुरातत्व से जुड़े लोगों की टीमे बनाकर यह कार्य किया जाएगा | भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के निर्देशन में यह काम होगा | भारत में यह काम केंद्र और राज्य सरकारों के सयुक्त प्रयास से किया जा रहा है | इससे असंरक्षित स्मारकों को लेकर एक उम्मीद की किरन दिखाई दी है |
आगरा में अब सिकंदर लोदी कहानियां भी सुनी जा सकेंगी | नेशनल मिशन फ़ॉर मोन्यूमेंट एंड एटीक्विटी की और से ऐसे स्मारकों को चिन्हित कर उन्हें दुरुस्त किया जाएगा ,जो न तो राज्य सरकार और केंद्र सरकार की और सरंक्षित है | नॅशनल मिशन ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को पत्र भेजकर इस दिशा में कार्य करने का निर्देश दिया है ऐसे मे लोदी काल के अवशेष जीवंत होंगे |
आगरा मे बहुत से ऐसे स्मारक है ,जिनका कोई खेर ख्वाह नहीं है | ताज,सीकरी ,सिकंदरा ,आगरा फोर्ट की चमक के आगे इन तक निग़ाह ही नहीं पहुंचती | ऐसे ही पुराताव्तिक स्मारकों के लिए नॅशनल मिशन फ़ॉर मोन्यूमेंट एंड एटीक्विटी के पांच वर्षों के प्रोजेक्ट मे इन्हें सवारा जाएगा |
डा एआर सिददीकी, अधीक्षण पुराताव्तिक,आगरा सर्किल ने बताया कि इस संबंध मे नॅशनल मिशन के सयुक्त निदेशक का पत्र आया है | जल्द ही ऐसे स्मारकों को चिंहित किया जाएगा |
इतिहास एव पुरातत्व से जुड़े लोगों की टीमे बनाकर यह कार्य किया जाएगा | भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के निर्देशन में यह काम होगा | भारत में यह काम केंद्र और राज्य सरकारों के सयुक्त प्रयास से किया जा रहा है | इससे असंरक्षित स्मारकों को लेकर एक उम्मीद की किरन दिखाई दी है |
चरवाहों का ठिकाना बना ग्यारह सीढ़ी | AGRA HINDI NEWS
25\06\2010 AGRA HINDI NEWS
कछपुरा के निकट लाल पत्थर से निर्मित ग्यारह सीढ़ी चरवाहों का डेरा बनी हुई है | यहाँ स्थित विशाल बावडी जो कभी जल का मुख्य स्रोत हुआ करती थी ,कचरे से पाट दी गई है | मुग़ल काल मे पानी से लबालब आगरा मे दूरदर्शी मुग़ल शासकों ने अपने स्थापत्य में जल संचयन पर विशेष ध्यान दिया था | आज पानी को हाहाकार मची है फिर भी जल श्रोत का दम घोंटा जा रहा है |
हुमायु का जंतर मंतर
20 वर्ष पहले खुदाई में निकले इस स्मारक को एएसआई शाहजहाँ कालीन बागों की एक कड़ी मानते है | जबकी कुछ इतिहासकारों के मुताबिक ज्योतिषी के शोकीन हुमायु ने 16 वी शताब्दी में समय की गणना के लिए जंतर मंतर नामक भवन का निर्माण करवाया था जो नष्ट हो चूका है | ग्यारह सीढ़ी के रूप मे उसका अवशेष मौजूद है | मध्यकाल में यूरोप में भी समय और ग्रहों की गणना का काम नंही हुआ था | उस लिहाज से ग्यारह सीढ़ी नक्षत्र ज्ञान का ये पहला अध्ययन केंद्र है |
सांस्क्रतिक केंद्र का प्रस्ताव
अधीक्षण पुरातत्वविद डा.एआर सिद्दीकी के अनुसार हुमायु के काल मे आगरा मे जंतर मंतर बनवाय जाने की खबर तो है लेकिन अभी तक उसका पता नहीं चल सका है | ग्यारह सीढ़ी के दोनों ओर खाली पडी जमीन को सांस्क्रतिक केंद्र के रूप मे स्थापित करने का प्रस्तावित है |
कछपुरा के निकट लाल पत्थर से निर्मित ग्यारह सीढ़ी चरवाहों का डेरा बनी हुई है | यहाँ स्थित विशाल बावडी जो कभी जल का मुख्य स्रोत हुआ करती थी ,कचरे से पाट दी गई है | मुग़ल काल मे पानी से लबालब आगरा मे दूरदर्शी मुग़ल शासकों ने अपने स्थापत्य में जल संचयन पर विशेष ध्यान दिया था | आज पानी को हाहाकार मची है फिर भी जल श्रोत का दम घोंटा जा रहा है |
हुमायु का जंतर मंतर
20 वर्ष पहले खुदाई में निकले इस स्मारक को एएसआई शाहजहाँ कालीन बागों की एक कड़ी मानते है | जबकी कुछ इतिहासकारों के मुताबिक ज्योतिषी के शोकीन हुमायु ने 16 वी शताब्दी में समय की गणना के लिए जंतर मंतर नामक भवन का निर्माण करवाया था जो नष्ट हो चूका है | ग्यारह सीढ़ी के रूप मे उसका अवशेष मौजूद है | मध्यकाल में यूरोप में भी समय और ग्रहों की गणना का काम नंही हुआ था | उस लिहाज से ग्यारह सीढ़ी नक्षत्र ज्ञान का ये पहला अध्ययन केंद्र है |
सांस्क्रतिक केंद्र का प्रस्ताव
अधीक्षण पुरातत्वविद डा.एआर सिद्दीकी के अनुसार हुमायु के काल मे आगरा मे जंतर मंतर बनवाय जाने की खबर तो है लेकिन अभी तक उसका पता नहीं चल सका है | ग्यारह सीढ़ी के दोनों ओर खाली पडी जमीन को सांस्क्रतिक केंद्र के रूप मे स्थापित करने का प्रस्तावित है |
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