25\06\2010 AGRA HINDI NEWS
कछपुरा के निकट लाल पत्थर से निर्मित ग्यारह सीढ़ी चरवाहों का डेरा बनी हुई है | यहाँ स्थित विशाल बावडी जो कभी जल का मुख्य स्रोत हुआ करती थी ,कचरे से पाट दी गई है | मुग़ल काल मे पानी से लबालब आगरा मे दूरदर्शी मुग़ल शासकों ने अपने स्थापत्य में जल संचयन पर विशेष ध्यान दिया था | आज पानी को हाहाकार मची है फिर भी जल श्रोत का दम घोंटा जा रहा है |
हुमायु का जंतर मंतर
20 वर्ष पहले खुदाई में निकले इस स्मारक को एएसआई शाहजहाँ कालीन बागों की एक कड़ी मानते है | जबकी कुछ इतिहासकारों के मुताबिक ज्योतिषी के शोकीन हुमायु ने 16 वी शताब्दी में समय की गणना के लिए जंतर मंतर नामक भवन का निर्माण करवाया था जो नष्ट हो चूका है | ग्यारह सीढ़ी के रूप मे उसका अवशेष मौजूद है | मध्यकाल में यूरोप में भी समय और ग्रहों की गणना का काम नंही हुआ था | उस लिहाज से ग्यारह सीढ़ी नक्षत्र ज्ञान का ये पहला अध्ययन केंद्र है |
सांस्क्रतिक केंद्र का प्रस्ताव
अधीक्षण पुरातत्वविद डा.एआर सिद्दीकी के अनुसार हुमायु के काल मे आगरा मे जंतर मंतर बनवाय जाने की खबर तो है लेकिन अभी तक उसका पता नहीं चल सका है | ग्यारह सीढ़ी के दोनों ओर खाली पडी जमीन को सांस्क्रतिक केंद्र के रूप मे स्थापित करने का प्रस्तावित है |
Friday, June 25, 2010
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