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Tuesday, June 8, 2010
फिजिकल सेंटर में बन रही करीना | agra hindi news
आगरा ०८\०६\२०१० भागदौड़ भरी जिंदगी और खानपान ने लाइफ स्टायल को चेंज कर दिया है | कभी फिट रहने के लिए किचन का काम ओर झाड़ू पोंछा को एक मात्र उपाए मानने वाली महिलाओं ने फिजिकल सेंटर का रुख कर लिया है | करीना ,प्रियंका चोपड़ा ,दीपिका जैसी अदाकारों जैसा फिगर पाने के लिए घंटों पसीना बहाया जाता है | वजन कम ओर मन चाही बाडी शेप देने के लिए शहर में जिम ओर फिजिकल सेंटरों की बाढ़ आ गई है | दस में से छह लोग मोटापे का शिकार हो रहे है फास्ट फ़ूड के चलन ओर फिजिकल क्रिया कलापों से जी चुराने के चलते महिलाएं ज्यादा प्रभावित है | वजन कम कराने ओर मोटापा घटाने के नाम पर जगह जगह जिम और फिजिकल सेंटर खुल गए है | युवतिया बॉलीवुड और हालीवुड की एक्टर्स जैसा इकहरा फिगर पाने के लिए हजारों रुपए खर्च करने से नहीं हिचकिचाते है | समय की बचत और सारी एक्सरसाइज़ एक जगह होने से जिम और फिजिकल सेंटर की मांग बढ़ती जा रही है | वही अब थोड़ी थोड़ी दूरी पर जिम और फिजिकल सेंटर खुल गए है | फिजिकल सेंटर में योगा क्लास में आयी सरिता का कहना है कि पढाई और कोचिंग से एक्सरसाइज़ के लिए टाइम ही नहीं मिल पाता था | बाहर के खाने और एक ही जगह बैठ कर पढ़ाई करने के कारण वजन काफी बढ़ गया | इसकी वजह से जिम क्लास ज्वाइन की और १५ दिन में वजन दो किलो कम हो गया |
आगरा का मौसम ठंडा ठंडा कूल कूल | AGRA HINDI NEWS
आगरा ०८\०६\२०१० तीन दिनों से महानगर में दुसरे पहर मेहरबान हो जा रहा है | दिन में एक-दो बार सूरज की किरण डराती जरुर है , लेकिन बादलों के साये में नगरवासी बच जाते है पिछले चार दिनों से तापमान में गिरावट दर्ज की जा रही है | रविवार को तापमान ३८.४ डिग्री सेल्सियस आ गया | मौसम को भी आंशिक रूप से बादल छाए रहेगे | भला हो बादल और बूदों का लोगों को गर्मी से राहत तो मिल रही है | हल्की बारिश से फिसलन बर्दाश्त है | लेकिन सूरज की तपिश भारी पड़ रही थी | गर्मी अपना कहर बरपाने में कसर नहीं छोड रही थी | चार दिनों ने बादल और बारिश ने मौसम का मिजाज ही बदल दिया | धीरे धीरे गर्मी के तेवर नरम होते जा रहे है सोमवार को सुबह से ही गर्मी अन्य दिनों की अपेक्षा कम रही | दिन भर बादल छाए रहे | कुछ ही देर को धुप निकली | दुसरे पहर ठंडी हवाएं चलने लगी , जो पशचिम की ओर से नमी लाकर आई | शाम को रह रहकर होने वाली हल्की बारिश ने मौसम को खुशनुमा बना दिया |
ना बजेगी शहनाई , न होंगे मांगलिक कार्यक्रम
आगरा ०८\०६\२०१० न्यू आगरा कालोनी स्थित सार्वजनिक पार्क में अब न बैंड बजेगे और न मांगलिक कार्यक्रम होंगे | निगम की नजर में कम्युनिटी हाल अवैध है | इससे न सिर्फ पार्क का मकसद धूलधूसरित हो रहा है | बल्कि लोग भी परेशान है | विरोध की आशंका के चलते पर्याप्त पुलिस बल की मांग की है | निगम अधिकारियों का कहना है कि न्यू आगरा कालोनी में २५०० वर्ग मीटर भूमि में सार्वजनिक पार्क है | इसके अंदर कालोनी निवासी सहेद्र सचदेव पुत्र देशराज सचदेव ने १५०० वर्ग मीटर एरिया में मंदिर एव कम्युनिटी हाल का निर्माण करवा लिया | वे कम्युनिटी हाल को अवैध रूप से बारातघर के रूप में उपयोग कर रहे है | इससे न निगम का पार्क बनाने का मकसद पूरा हो रहा है बल्कि लोगों को परेशानी हो रही है | लोगों की शिकायत है कि कम्युनिटी हाल में शादिया अथवा मांगलिक कार्यक्रम होते है | इससे पार्क का मकसद ही ख़त्म हो गया है | इस शिकायत पर गंभीर नगर आयुक्त ने अधीनस्थो से मौका मुआयना करवाया तो शिकायत सत्य निकली | इस पर उन्होंने निगम और जनहित में कम्युनिटी हाल को सील करने का फेसला कर लिया | सूत्र बताते है कि नगर निगम आयुक्त आनंद वर्धन ने अधिनस्थो को आदेश दिए है आठ जून को सील की कार्यवाई की जाए | प्रशासन से कहा है | कि शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए पर्याप्त संख्या में पुलिस बल मुहैया कराया जाए | उप नगर आयुक्त आरके सिंह का कहना है कि हर सूरत में मंगलवार ११ बजे कम्युनिटी हाल को सील करने की कार्यवाई की जाएगी | शांति व्यवस्था बनाये रखने के पर्याप्त इंतजाम कर लिया है |
तब मंच पर आता था समूचा ताजगंज || AGRA HINDI NEWS||
आगरा 08 \06\2010 आगरा से दो हजार किलोमीटर दूर जन्मे प्रख्यात रंग शिल्पी हबीब तनवीर को आगरा शहर से बेहद प्यार था यहाँ के तहजीब उन्हें बहुत आकर्षित करती थी | 'आगरा बाज़ार' , ' चरनदास चोर ' हो या जहरीले हवाओं का मंचन |
हबीब को भी आगरा वासियों ने हाथोंहाथ लिया | नजीर के गीतों पर आधारित नाटक आगरा बाज़ार में तो हबीब मंच पर समूचे ताजगंज सजा देते थे | आजादी के बाद नाटय निर्देशन के छेत्र में उभरे नामों में से हबीब तनवीर एक है | वह अन्य निर्देशक से अलग इसलिए है , क्योकि वह हिंदी नाटकों को पारसी थियेटर की अतिरंजन के रंग पद्धति से बाहर निकाल आधुनिक रंग सज्जा और रंग संयोजन के साथ वास्तविक रंगभूमि में तब्दील करना चाहते थे | सबसे महत्त्वपूर्ण है | आधुनिक हिंदी नाटय परंपरा को उसकी मूल मिट्टी से उपजाने की फ़िक्र ,कलाबोध और उनका रचना संसार | पहली बार हबीब तनवीर ने समर्द्ध हिंदी रंगमंच पर छत्तीसगढ़ के निरक्षर और ग्रामीण महिला - पुरुष कलाकारों को मंच पर उतारा | रायपुर से चला उनका रंग काफिला भोपाल और दिल्ली पर नहीं नहीं रुका | उन्होंने पूरे देश को छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक तेवरों से परिचित कराया और फिर पुरे दुनिया में घूम घूम कर उसकी धमक सुनाई | नाट्य संस्था रंगलीला के निर्देशक अनिल शुक्ला का कहना है कि बेशक हबीब साहब नहीं रहे , लेकिन अपनी मिटटी के भीतर से उपजने वाले हिंदी नाटक की जो पोध उन्होंने रोपी है | उसे पुष्पित पल्लवित करने की जरुरत है , खासकर ऐसे दौर में , जब हिंदी नाटक अपनी लोकप्रियता के संकट से तरह जूझ रहा है
हबीब को भी आगरा वासियों ने हाथोंहाथ लिया | नजीर के गीतों पर आधारित नाटक आगरा बाज़ार में तो हबीब मंच पर समूचे ताजगंज सजा देते थे | आजादी के बाद नाटय निर्देशन के छेत्र में उभरे नामों में से हबीब तनवीर एक है | वह अन्य निर्देशक से अलग इसलिए है , क्योकि वह हिंदी नाटकों को पारसी थियेटर की अतिरंजन के रंग पद्धति से बाहर निकाल आधुनिक रंग सज्जा और रंग संयोजन के साथ वास्तविक रंगभूमि में तब्दील करना चाहते थे | सबसे महत्त्वपूर्ण है | आधुनिक हिंदी नाटय परंपरा को उसकी मूल मिट्टी से उपजाने की फ़िक्र ,कलाबोध और उनका रचना संसार | पहली बार हबीब तनवीर ने समर्द्ध हिंदी रंगमंच पर छत्तीसगढ़ के निरक्षर और ग्रामीण महिला - पुरुष कलाकारों को मंच पर उतारा | रायपुर से चला उनका रंग काफिला भोपाल और दिल्ली पर नहीं नहीं रुका | उन्होंने पूरे देश को छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक तेवरों से परिचित कराया और फिर पुरे दुनिया में घूम घूम कर उसकी धमक सुनाई | नाट्य संस्था रंगलीला के निर्देशक अनिल शुक्ला का कहना है कि बेशक हबीब साहब नहीं रहे , लेकिन अपनी मिटटी के भीतर से उपजने वाले हिंदी नाटक की जो पोध उन्होंने रोपी है | उसे पुष्पित पल्लवित करने की जरुरत है , खासकर ऐसे दौर में , जब हिंदी नाटक अपनी लोकप्रियता के संकट से तरह जूझ रहा है