Wednesday, June 16, 2010

एत्माद उद दौला की हुई दुर्दशा

16\06\2010 AGRA HINDI NEWS
कभी मुग़ल काल में स्थापत्य के अदभुत नमूनों और बागो से चमचमाने वाला यमुनापार ईलाका आज गर्दिश में है | विकास पीछे रह गए यमुनापार क्ष्रेत्र के स्मारक बदहाली पर आंसू बहा रहे है | पुरात्व विभाग द्वारा संरक्षित इन ईमारतों में से कुछ बिल्कुल जर्जर हालत में पहुँच गए है | नूरजहाँ ने अपने माँ अस्मत उल निशा और पिता ग्यास वेग की याद में बनवाए गए थे | संगमरमरी दीवारों पर पच्चीकारी की कारीगरी से बने गुलदस्ते ,सुराही , प्याले ,पोधे वास्तविक स्वरूप खो चुके है | कुछ हिसों से पच्चीकारी का काम ही गायब है | इमारत के बीचोबीच स्थित फ़व्वारे से अब पानी की भीनी बौछारें नहीं होती | स्मारक में गिरा पड़ा पेड़ अपने उठाय जाने के इंतजार में है | पानी के आभाव में घास सुखी है | स्मारक के चारो कोनो पर बनी अष्ट्र कोणीय दो मंजिली इमारतें प्रेमी युगलों के इजहार इश्क से अटी है | यहीं नहीं कुछ ने जमीन के फर्श तक खोद कर अपने नाम अंकित कर रखे है स्मारक की बदहाली की कहानी यंही ख़त्म नहीं होती | स्मारक में आने वाले पर्यटकों के लिए पार्किंग तक का इतजाम नहीं है | गर्मी में पर्यटकों की संख्या में बेहद कमी आई है | टिकट खिड़की पर दिन में मुश्किल से 50-60 टिकट ही बिकते है | जिनमे विदेशी पर्यटकों का अनुपात कम है | 

बोत्सवाना के उपराष्ट्रपति ताज का दीदार करेंगे | AGRA HINDI NEWS

16\06\2010 AGRA HINDI NEWS
१६ जून को बोत्सवाना के  उपराष्ट्रपति ताजमहल का दीदार करेंगे | अति  विशिष्ट मेहमान के ताज आगमन पर ताजमहल में लगभग दो घंटे आम पर्यटकों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा |  उपराष्ट्रपति की विजिट सुबह पौने ग्यारह बजे तक प्रस्तावित है | देशी और विदेशी पर्यटकों के लिए बेहतर होगा कि आज वह उगते सूर्य के साथ ताज का दीदार करे | पर्यटन का लुफ़्त भी मिलेगा और लंबे इंतजार से भी बच जायेंगे | बुधवार को बोत्सवाना के उपराष्ट्रपति ताज का भ्रमण करेंगे | अवीवीआईपी विजिट को देखते हुय सोलह जून का ताजमहल में सुबह ८.४५ से ९.४५ बजे तक या वीवीआईपी विजिट खत्म होने तक ताज में आम पर्यटकों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा | इससे पहले ७.४५ से ताजमहल की बुकिंग विंडो बैंड कर दी जाएगी | किसी भी वीवीआईपी विजिट में ऐसा सुरक्षा कारणों से किया जाता है | हालाकिं इस कारण पर्यटकों को इतंजार करना पड़ता है | इसीलिए पर्यटक यदि सुबह ८.४५ तक अपना ताज भरमान कर ले तो बेहतर होगा या बारह बजे तक ताज घूमनेका प्रग्राम बनाय |

अध्यापक ने लिखी ' मुलायम चालीसा ' | AGRA HINDI NEWS

16\06\2010 AGRA HINDI NEWS
सत्ता से दूर होने के बाद मुलायम सिंह यादव के भक्तों की आज भी कोई कमी नहीं है | खेरागढ़ के पवन गोस्वामी को ही ले लीजिए | उन्होंने तो मुलायम चालीसा ही रच डाली है मुलायम को कृष्णावतार बताते हुए उन्हें कलयुग में कल्कि का रूप भी कहा है | २२१ चोपाईयों वाली मुलायम चालीसा में मुलायम वंदना तथा आरती भी लिखी गई है |
खेरागद निवासी पवन गोस्वामी एक ईंटर कालेज में हिंदी ,संस्कृत के अध्यापक है | उन्होंने मुलायम चालीसा की शुरुआत गणपति की करिं वंदना ,धरी सरस्वती ध्यान स्वामी श्री मुलायम की महिला करहु बखान' दोहे से की है | मुलायम को  कृष्णा अवतार बताते हुय खुद को उनका सर्वश्रेठ भक्त बताया गया है | चालीसा में मुलायम को १६ कलाओं का अवतारी प्रधानमंत्री का दावेदार भी कहा गया है | चालीसा में मुलायम शासनकाल की योजनाओं के महिम मंडन के आलावा बसपा ,भाजपा तथा कांग्रेस को जमकर कोसा गया है | मुलायम चालीसा में अखिलेश यादव को श्रीकृष्णा पुत्र प्रद्युम्न तथा भाई शिवपाल सिंह यादव को बलदाऊ बताया गया है | लेखक ने उन्हें संकट मोचन हनुमान मानते है |

बूंदों ने घोली फिजा में राहत | AGRA HINDI NEWS

16\06\2010   AGRA HINDI NEWS
प्री मानसून का वक्त अब लगभग खत्म हो गया है | इसलिए बारिश की बूंदों में मानसूनों की आहट सूनी जा सकती है | मंगलवार को महानगर में अच्छी खासी गर्मी पड़ी और तापमान ४२.८ डिग्री सेल्सियस रहा | गर्मी के साथ उमस ने लोगों को काफी परेशान किया | लेकिन शाम को बारिश की बूंदों ने दिन भर की गर्मी को शांत कर दिया | मौसम विभाग के अनुसार मानसून आने वाला है | और मौसम की यह क्रिया अब होती रहेगी | इन बारिशों का मतलब कतई यह नहीं कि मानसून ने दस्तक दे दी या नजदीक है मानसून अभी दूर है | वैसे भी आगरा में मानसून पहुँचने की तिथी २६ जून है | लेकिन दस दिन पहले पड़ने वाली बारिश की बूंदों में दूर से आने वाली मानसून की आहट सूनी जा सकती है मंगलवार को दिन भर भयानक गर्मी रही | लोगों के पसीने सूखने का नाम नहीं ले रहे थे | बिजली की कटोती तो और रुला रही थी | शाम को लगभग तीन बजे के बाद एक बार बादलों में धूल की परत जेसे  माहोल बना , लेकिन मौसम में कोई परिवर्तन नहीं हुआ | शाम तक लोग गर्मी की गिरफ्त रहे | सूरज ढलते ही माहोल बनने लगा |